ईश्वर सिर्फ हमारी बुद्धि को सत्य की ओर प्रेरित कर सकता है, उस प्रेरणा के आधार पर कर्म किये बिना हमें कुछ भी नहीं मिलने वाला
भूर्भुवः स्वःतत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहिधियो यो नः प्रचोदयात्
ऋग्वेद -मंडल-३-सूक्त-६२-मन्त्र-१०
सामवेद- प्रपाठक-६- अध्याय-१३-खंड-४-मन्त्र-३
यजुर्वेद- अध्याय-३६- मन्त्र-३
पृथ्वी, पृथ्वी के ऊपर का लोक (और) सबसे ऊपर के लोक (स्वर्ग) । (इन तीनों लोकों को, सम्पूर्ण सृष्टि कोउसने, सूर्य से (निर्गत प्रकाश से) दीप्तिमान (किया हुआ है), (उस) पूजा के योग्य प्रभु का, (हम) ध्यान करते हैं । (इस ध्यान के फलस्वरूप) बुद्धि (को) जो (ईश्वर) हमारी (सत् की ओर) प्रेरित करे

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